इंसान के शरीर में बने कमल चक्रों की अद्भुत जानकारी | Sant Rampal Ji Maharaj LIVE | SATLOK ASHRAM

इंसान के शरीर में बने कमल चक्रों की अद्भुत जानकारी | Sant Rampal Ji Maharaj LIVE | SATLOK ASHRAM कबीर सागर में अध्याय ‘‘कबीर बानी‘‘ पृष्ठ 111 पर शरीर के कमलों की यथार्थ जानकारी है जो इस प्रकार हैः- 1) प्रथम मूल कमल है, देव गणेश है। चार पंखुड़ी का कमल है। 2) दूसरा स्वाद कमल है, देवता ब्रह्मा-सावित्राी हैं। छः पंखुड़ी का कमल है। 3) तीसरा नाभि कमल है, लक्ष्मी-विष्णु देवता हैं। आठ पंखुड़ी का कमल है। 4) चैथा हृदय कमल है, पार्वती-शिव देवता हैं। 12 पंखुड़ी का कमल है। 5) पाँचवां कंठ कमल है, अविद्या (दुर्गा) देवता है। 16 पंखुड़ी का कमल है। कबीर सागर में भवतारण बोध में पृष्ठ 57 पर लिखा है कि:- षट्कमल पंखुड़ी है तीनी। सरस्वती वास पुनः तहाँ किन्ही।। सप्तम् कमल त्रिकुटी तीरा। दोय दल मांही बसै दोई बीरा (शूरवीर)।। 6) यह छठा संगम कमल त्रिकुटी से पहले है जो सुष्मणा के दूसरे अंत वाले द्वार पर बना है। इसकी तीन पंखुड़ियाँ है। इसमें सरस्वती का निवास है। वास्तव में दुर्गा जी ही अन्य रूप में यहाँ रहती है। इसके साथ 72 करोड़ सुन्दर देवियाँ रहती हैं। इसकी तीन पंखुड़ियाँ हैं। इन तीनों में से एक में परमेश्वर का निवास है जो अन्य रूप में रहते हैं। एक पंखुड़ी में सरस्वती तथा 72 करोड़ देवियाँ जो ऊपर जाने वाले भक्तों को आकर्षित करके उनको अपने जाल में फँसाती हैं। दूसरी पंखुड़ी में काल अन्य रूप में रहता है। मन रूप में काल का निवास है तथा करोड़ों युवा देव रहते हैं जो भक्तमतियों को आकर्षित करके काल के जाल में फँसाते हैं। तीसरी पंखुड़ी में परमेश्वर जी हैं जो अपने भक्तों को सतर्क करते हैं जिससे सतगुरू के भक्त उन सुन्दर परियों के मोह में नहीं फँसते। 7) सातवां त्रिकुटी कमल है जिसकी काली तथा सफेद दो पंखुड़ियाँ हैं। क&#
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