टिकट- अलबम | TICKET ALBUM | सुंदरा रामस्वामी | तमिल से अनुवाद : सुमति अय्यर | CBSE | Class 6 Hindi

टिकट- अलबम | सुंदरा रामस्वामी | (तमिल से अनुवाद : सुमति अय्यर) अब राजप्पा को कोई नहीं पूछता। आजकल सब-के-सब नागराजन को घेरे रहते। ’नागराजन घमंडी हो गया है’, राजप्पा सारे लड़कों में कहता फिरता। पर लड़के भला कहाँ उसकी बातों पर ध्यान देते! नागराजन के मामा जी ने सिंगापुर से एक अलबम भिजवाया था। वह लड़कों को दिखाया करता। सुबह पहली घंटी के बजने तक सभी लड़के नागराजन को घेरकर अलबम देखा करते। आधी छुट्टी के वक्त भी उसके आसपास लड़कों का जमघट लगा रहता। कई लोग टोलियों में उसके घर तक हो आए। नागराजन शांतिपूर्वक सभी को अपना अलबम दिखाता, पर किसी को हाथ नहीं लगाने देता। अलबम को गोद में रख लेता और एक-एक पन्ना पलटता, लड़के बस देखकर खुश होते। और तो और कक्षा की लड़कियाँ भी उस अलबम को देखने के लिए उत्सुक थीं। पार्वती लड़कियों की अगुवा बनी और अलबम माँगने आई। लड़कियों में वही तेज़-तर्रार मानी जाती थी। नागराजन ने कवर चढ़ाकर अलबम उसे दिया। शाम तक लड़कियाँ अलबम देखती रहीं फिर उसे वापस कर दिया। अब राजप्पा के अलबम को कोई पूछने वाला नहीं था। वाकई उसकी शान अब घट गई थी। राजप्पा के अलबम की लड़कों में काफ़ी तारीफ़ रही थी। मधुमक्खी की तरह . उसने एक-एक करके टिकट जमा किए थे। उसे तो बस एक यही धुन सवार थी। सुबह आठ बजे वह घर से निकल पड़ता। टिकट जमा करने वाले सारे लड़कों के चक्कर लगाता। दो ऑस्ट्रेलिया के टिकटों के बदले एक फिनलैंड का टिकट लेता। दो पाकिस्तान के बदले एक रूस का। बस शाम, जैसे ही घर लौटता, बस्ता कोने में पटककर अम्मा से चबेना लेकर निकर की जेब में भर लेता और खड़े-खड़े कॉफ़ी पीकर निकल जाता। चार मील दूर अपने दोस्त के घर से कनाडा का टिकट लेने पगडंडि
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