सबसे सुंदर ल़ड़की – विष्णु प्रभाकर | SABSE SUNDAR LADAKI – VISHNU PRABHAKAR | HINDI STORY

सबसे सुंदर ल़ड़की – विष्णु प्रभाकर | SABSE SUNDAR LADAKI – VISHNU PRABHAKAR | HINDI STORY समुद्र के किनारे एक गाँव था। उसमें एक कलाकार रहता था। वह दिनभर समुद्र की लहरों से खेलता रहता, जाल डालता और सीपियाँ बटोरता। रंग-बिरंगी कौड़ियाँ, नाना रूप के सुंदर-सुंदर शंख, चित्र-विचित्र पत्थर, न जाने क्या-क्या समुद्र-जाल में भर देता। उनसे वह तरह-तरह के खिलौने, तरह-तरह की मालाएँ तैयार करता और पास के बड़े नगर में बेच आता। उसका एक बेटा था, नाम था उसका हर्ष। उम्र अभी ग्यारह की भी नहीं थी, समुद्र की लहरों में ऐसे घुस जाता, जैसे तालाब में बत्तख। एक बार ऐसा हुआ कि कलाकार के एक रिश्तेदार का मित्र कुछ दिन के लिए वहाँ छुट्टी मनाने आया। उसके साथ उसकी बेटी मंजरी भी थी। होगी कोई नौ-दस वर्ष पर की, पर थी बहुत सुंदर, बिलकुल गुड़िया जैसी। हर्ष बड़े गर्व के साथ उसका हाथ पकड़कर उसे लहरों के पास ले जाता। एक दिन मंजरी ने चिल्लाकर कहा, “तुम्हें डर नहीं लगता?“ मंजरी डरती थी, पर मन ही मन यह भी चाहती थी कि वह भी समुद्र की लहरों पर तैर सके। उसे यह तब और भी ज़रूरी लगता था, जब वह वहाँ की दूसरी लड़कियों को ऐसा करते देखती-विशेषकर कनक को, जो हर्ष के हाथ में हाथ डालकर तूफ़ानी लहरों पर दूर निकल जाती। हर्ष ने जवाब दिया, “डर क्यों लगेगा, लहरें तो हमारे साथ खेलने आती हैं। “ और तभी एक बहुत बड़ी लहर दौड़ती हुई हर्ष की ओर आई, जैसे उसे निगल जाएगी। मंजरी चीख उठी, पर हर्ष तो उछलकर लहर पर सवार हो गया और किनारे पर आ गया।.........
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