Sarveshwar Dayal Saxena : चाँदनी की पाँच परतें : Surekha Sikri in Hindi Studio with Manish Gupta

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना [1927-1983] मूलतः कवि एवं साहित्यकार थे, पर जब उन्होंने दिनमान का कार्यभार संभाला तब समकालीन पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को समझा और सामाजिक चेतना जगाने में अपना अनुकरणीय योगदान दिया। सर्वेश्वर मानते थे कि जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता। सर्वेश्वर की यह अग्रगामी सोच उन्हें एक बाल पत्रिका के सम्पादक के नाते प्रतिष्ठित और सम्मानित करती है। कविता संग्रह खूँटियों पर टँगे लोग के लिये 1983 का साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से से विभूषित।। Created by : Manish Gupta Thanks for help : Tanu Sharma, Amit S ©Active Illusions [@] चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है । एक जल में, एक थल में, एक नीलाकाश में । एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती, एक मेरे बन रहे विश्वास में । क्या कहूँ , कैसे कहूँ..... कितनी जरा सी बात है । चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है । एक जो मैं आज हूँ , एक जो मैं हो न पाया, एक जो मैं हो न पाऊँगा कभी भी, एक जो होने नहीं दोगी मुझे तुम, एक जिसकी है हमारे बीच यह अभिशप्त छाया । क्यों सहूँ ,कब तक सहूँ.... कितना कठिन आघात है । चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है । सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
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