कोरोना से काहे डरना “एक अवधी कविता”

अब कुदरत हमका लागत बा। कुछ मंद मंद समझ आवत बा। जीवन की आपाधापी में आराम का दाम बतावत बा। पालूशन दूर करै खातिर सब बंद बंद करवावत बा। कोरोना का चाबु...
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