राम का राज्याभिषेक | बाल रामकथा |वाल्मीकि रामायण |RAM KA RAJABHISHEK | BAL RAMKADHA |VALMIKI RAMAYAN

राम का राज्याभिषेक | बाल रामकथा |वाल्मीकि रामायण |RAM KA RAJABHISHEK | BAL RAMKADHA | VALMIKI RAMAYAN विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में रुक जाएँ। नयी लंका में। उनकी लंका में। उन्होंने अपनी इच्छा राम को बताई। उसका कारण भी। “मैं चाहता हूँ कि आप कुछ दिन यहाँ विश्राम कर लें। युद्ध की थकान उतर जाएगी। वैसे इसमें मेरा स्वार्थ भी है। आपका सान्निध्य और रीति-नीति सीखने का अवसर। आपने यह नगरी देखी भी तो नहीं है। “राम ने लंका नगरी में कदम नहीं रखा था। सीता से मिलने हनुमान गए। दो बार। अंगद गए। लक्ष्मण भी हो आए। विभीषण के राजतिलक के समय। राम उस नगरी से दूर ही रहे। “यह संभव नहीं है, मित्र!“ राम ने कहा। वनवास के चौदह वर्ष पूरे हो गए हैं। मैं तत्काल अयोध्या लौटना चाहता हूँ। भरत मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। जाने में विलंब हुआ तो वे प्राण दे देंगे। उन्होंने प्रतिज्ञा की है। मैं उनकी प्रतिज्ञा से बँधा हूँ।“ विभीषण राम से अलग नहीं होना चाहते थे। उनका अनुरोध राम ने अस्वीकार कर दिया था। पर वे निराश नहीं थे। इस बार उन्होंने एक नया प्रस्ताव रखा। “मेरी इच्छा है कि मैं आपके राज्याभिषेक में उपस्थित रहूँ। मुझे अपने साथ चलने की अनुमति दें।“ राम ने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया। बोले, “आप मेरे लिए यात्रा की व्यवस्था कर दें।“ ....................... @dracvramakumar @nrkacademy @ @PebblesCBSEBoardSyllabus @SunoRamayan @edewcateHindi
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